A splendid and touching ghazal.. full of master class poetry and expressions. A post like this will serve as a piece of academic reference for many sincere aspirants of Aaj Sirhaane.
Kudos to AS admin!! Everytime we wonder over the quality of template she designs to complement a post, she amazes us further by surpassing her own benchmarks of excellence.
हुई मुद्दत की कुछ रिश्ते बिगड़ के फिर नही बनते।
वो लम्हो में खफा होना मनाना याद आता हूं।।
परिस्तिश भी तिज़ारत ही खुदाया है उम्मीदों की।
वो मिश्री की डली को सर झुकना याद आता है।।
वाह बहुत खूब कोशिश जी जो आप ने बचपन के बहाने आज और कल की यादो, रिश्तों और और बदलते हालात का ख़ाका खिंचा है शानदार कोशिश है। जिंदाबाद।
आज सिरहाने-समूह में यदि ग़ज़ल कहीं है तो फिर कोशिश ग़ज़ल के पास- अपनी पूरी अदा के साथ!
सादगी का सौन्दर्य बिखरा मिलेगा यहाँ। सजावट करने की कोशिश नहीं कहीं पर नैसर्गिक सौन्द्रर्य तिर-सा जाता है इस जादुई लेखनी में। मासूमियत और नज़ाकत बस यहीं देखिए! ठाँव कई मिलेंगे लिखावट के, पर जहाँ पुरकशिश सुकून मिलेगा..उसे कोशिश ग़ज़ल कहेंगे!
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Thank you. Glad you liked it. Your introduction was the perfect accompaniment along with the photograph and graphic layout.
बहुत ही बेहतरीन
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Wow…. Brilliant
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Beautiful बचपन
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हुई मुद्दत की कुछ रिश्ते बिगड़ के फिर नही बनते।
वो लम्हो में खफा होना मनाना याद आता हूं।।
परिस्तिश भी तिज़ारत ही खुदाया है उम्मीदों की।
वो मिश्री की डली को सर झुकना याद आता है।।
वाह बहुत खूब कोशिश जी जो आप ने बचपन के बहाने आज और कल की यादो, रिश्तों और और बदलते हालात का ख़ाका खिंचा है शानदार कोशिश है। जिंदाबाद।
बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई का.
बहुत उम्दा शायरी …. बेमिसाल ग़ज़ल… बोलती तस्वीर
आभार शिशिरजी, आपकी प्रशंसा बहुत मायने रखती है.
आज सिरहाने-समूह में यदि ग़ज़ल कहीं है तो फिर कोशिश ग़ज़ल के पास- अपनी पूरी अदा के साथ!
सादगी का सौन्दर्य बिखरा मिलेगा यहाँ। सजावट करने की कोशिश नहीं कहीं पर नैसर्गिक सौन्द्रर्य तिर-सा जाता है इस जादुई लेखनी में। मासूमियत और नज़ाकत बस यहीं देखिए! ठाँव कई मिलेंगे लिखावट के, पर जहाँ पुरकशिश सुकून मिलेगा..उसे कोशिश ग़ज़ल कहेंगे!
बहुत आभार. ख़ुशी है कि आपको पसंद आई. आपकी प्रशंसा से और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिलेगी.
Bahut khoob