पढकर लगा जैसे दिनकर जी या जयशंकर प्रसाद जी को पढ़ रहा हूँ। बहुत खूब लिखा है आपने, रचना में गहराई और भाव को बड़ी बारीकी से पिरोया है। भाषा उत्कृष्ट है।
“दरिया की धरा देखो, जैसे नीर था ही नही
परिंदे सब चले गए, इनको भी धीर था ही नही।”
बहुत बधाई और ढेर सा प्यार आप को और आपकी रचना को।
Beautiful introduction Preet ji. Thanx a lot for your soulful phrase. You have decorated the colors of this poem by beautiful outlining and meaningful shapes. Thanx again.
बहुत सुंदर प्रस्तुति विमल जी। मैं प्रसन्नचित्त हो गयी हूँ पढ़ कर। बहुत बहुत बधाई इतनी सुन्दर रचना के लिए
Preet you are as usual outstanding!!
बहुत बहुत धन्यवाद
कितना सुंदर लिखा , वाकई अप्रतिम
Thanks Anshu! Your encouraging words mean a lot!
पढकर लगा जैसे दिनकर जी या जयशंकर प्रसाद जी को पढ़ रहा हूँ। बहुत खूब लिखा है आपने, रचना में गहराई और भाव को बड़ी बारीकी से पिरोया है। भाषा उत्कृष्ट है।
“दरिया की धरा देखो, जैसे नीर था ही नही
परिंदे सब चले गए, इनको भी धीर था ही नही।”
बहुत बधाई और ढेर सा प्यार आप को और आपकी रचना को।
Dhanyawaad Kausen ji.
उत्कृष्ट रचना.. जब कोई इतनी अच्छी और सलीके से हिंदी लिखता है तो बस मन करता है पढ़ते जाएँ.. पढ़ते जाएँ..
प्रीतो आप ही हैं जो देवराज को टक्कर दे सकें.. आपके परिचय देने के अंदाज़ ने लूट लिया
सुप्रिया जी, हार्दिक धन्यवाद। आपकी सराहना, हिन्दी के सम्मान की परिचायक है। लुप्त प्राय: हिन्दी प्रेम को देख कर बहुत अच्छा लगता है।
Supriya.. Thanks for kind words yaar.. per Inderji ko takkar… mushkil hai bahut.. He is impeccable!
Beautiful introduction Preet ji. Thanx a lot for your soulful phrase. You have decorated the colors of this poem by beautiful outlining and meaningful shapes. Thanx again.
Thanks to you Mr Vimal.. Blessed to be introducing such a class piece !!
बहुत सुंदर विमल! आप की इस प्रतिभा से हम अनजान थे। शब्दो का चयन और भाषा शैली किसी ख्याति नाम कवि से कम नही है। बहुत बहुत स्नेह।
Nice poem