क्या कहूँ शिशिर सर ने कुछ कहने लायक ही न छोड़ा!! कैसे कह लेते हैं आप इतनी सरलता से इतनी कठिन बातें!!
ढेर सारी बधाई आपकी इस सुन्दर और हृदयस्पर्शी कविता के लिए
नावनीत जी आपने भी कमाल कर दिया परिचय के साथ, लगा कविता से नाता जोड़ दिया हमारा। बहुत अच्छा!!
शिशिर सर आप की आवाज़ भी आपकी लेखनी जैसी मखमली है.. इतनी खूबसूरत तरीके से इस कविता को बस आप ही पढ़ सकते थे
नवी जी आप को शत शत प्रणाम इतना ख़ूबसूरत परिचय देने के लिए
शिशिर जी, आप की रचनाओं में एक अद्भुत सी मिठास, मिटटी की खुशबू व एक तलाश सी दिखाई देती है जो अनायास ही ह्यदय को छू जाती है I स्वर में एक दर्द सा क्यों है ये एक पहेली है मेरे लिए – शायद कुछ बीते अनुभवों के रस हैं !
आप की संगत की कामना के साथ सम्पूर्ण टीम को बधाई देता हूँ…….!
hai sabsey madhur wo geet jo dard mein gaaye jaatey hain ………. aprateem rachna !! thehra hua dard aksar shool ban jaata hai ………. lekin apka dard ka mausam patjhad se saawan tak punarjevit hota hai aur ek sugam dhara sa behta hai 🙂
baht badhayi apki is rachna ke liye !
मौसम के साथ प्रियतम के संग की पुकार , मर्मस्पर्शी
सुनने के लिए शुक्रिया
क्या कहूँ शिशिर सर ने कुछ कहने लायक ही न छोड़ा!! कैसे कह लेते हैं आप इतनी सरलता से इतनी कठिन बातें!!
ढेर सारी बधाई आपकी इस सुन्दर और हृदयस्पर्शी कविता के लिए
नावनीत जी आपने भी कमाल कर दिया परिचय के साथ, लगा कविता से नाता जोड़ दिया हमारा। बहुत अच्छा!!
असीम अनुग्रह आपका
शिशिर सर आप की आवाज़ भी आपकी लेखनी जैसी मखमली है.. इतनी खूबसूरत तरीके से इस कविता को बस आप ही पढ़ सकते थे
नवी जी आप को शत शत प्रणाम इतना ख़ूबसूरत परिचय देने के लिए
बहुत बहुत धन्यवाद सुप्रिया
शिशिर जी, आप की रचनाओं में एक अद्भुत सी मिठास, मिटटी की खुशबू व एक तलाश सी दिखाई देती है जो अनायास ही ह्यदय को छू जाती है I स्वर में एक दर्द सा क्यों है ये एक पहेली है मेरे लिए – शायद कुछ बीते अनुभवों के रस हैं !
आप की संगत की कामना के साथ सम्पूर्ण टीम को बधाई देता हूँ…….!
hai sabsey madhur wo geet jo dard mein gaaye jaatey hain ………. aprateem rachna !! thehra hua dard aksar shool ban jaata hai ………. lekin apka dard ka mausam patjhad se saawan tak punarjevit hota hai aur ek sugam dhara sa behta hai 🙂
baht badhayi apki is rachna ke liye !