मैं कई वर्षों से सोच में थी कि आख़िर किस के साथ दिन की शुरुआत की जाए कि दिन अच्छा गुज़रे। आज मेरी वो दुविधा भी ख़त्म हो गई है। आपकी कविता या कहानी वो भी आपकी ही ज़ुबानी, इससे अच्छी शुरुआत तो कोई हो ही नहीं सकती दिन की!!
बहुत शुक्रिया सर, ऐसे ही लिखते रहिये।
जागृति बहुत अच्छा परिचय। इतनी कम उम्र में इतनी अच्छी पकड़ कलम पर होना बहुत मुश्किल है, ढेर सारी बधाई ढेर सारे प्यार के साथ
मैं कई वर्षों से सोच में थी कि आख़िर किस के साथ दिन की शुरुआत की जाए कि दिन अच्छा गुज़रे। आज मेरी वो दुविधा भी ख़त्म हो गई है। आपकी कविता या कहानी वो भी आपकी ही ज़ुबानी, इससे अच्छी शुरुआत तो कोई हो ही नहीं सकती दिन की!!
बहुत शुक्रिया सर, ऐसे ही लिखते रहिये।
जागृति बहुत अच्छा परिचय। इतनी कम उम्र में इतनी अच्छी पकड़ कलम पर होना बहुत मुश्किल है, ढेर सारी बधाई ढेर सारे प्यार के साथ
बहुत बल मिलता है आप जैसे साथियों की मीठी बातों से। धन्यवाद।
कहानी का अंत एक बेहद खूबसूरत मोड़ पर किया गया है , यद्यपि मुझे लगता है कि नायक अजय अब भी विचलित है | नायिका कि चंचलता मन को लुभा गयी |
बहुत खूब !