Story : Buudhaa Daakiya
Writer : Nitish
Rising Star Of the Month
वो एक बूढ़ा डाकिया… गाँव में जब भी आता,अपने साथ सिर्फ खत नहीं लाता था.. निदा साहब का ये जादूगर अपने झोले में हँसी,आँसू,सुख-दुख सब रखता था.. खाकी वर्दी पहने ,काँधे पर झोला लटकाए साथ में अपनी अर्धांगिनी साइकिल को लिए गाँव और शहर की दूरी नापता वो बूढ़ा डाकिया, जिम्मेदारी कों अपना धर्म समझ रण-क्षेत्र में उतर जाता था.. कोई खत खो जाता तो वो उदास हो जाता..एहसासों की गुमशुदगी उसे रूंआसा कर देती..
वैसे खुशमिजाजी में उसका कोई सानी भी नहीं था.. वो जिस भी घर जाता, उसकी आवभगत जोरों से होती.. बच्चें दौड़ के तुरंत पानी लाते…पानी पीते हुए वो ढेरो आशीर्वाद देता रहता.. उसकी खातिरदारी किसी विदेशी मेहमान की तरह ही होती… अम्मा चाय पिलाए बिना निकलने ना देती थी.. और इन सब के बदले वो चुपके से बच्चों को टॉफी थमा चला जाता था..
खत में लिखे किस्से को बड़े मजे से सुनाया करता वो बूढ़ा डाकिया..फलां ये बाबूजी..फलां वो बबुआ.. वो हर त्योहार मनाता था.. होली-दीवाली-ईद-क्रिसमस..हर त्योहार पर उसका चेहरा खिला रहता.. जब कोई शादी का कार्ड झोले में होता,बड़ा चहका करता… “बहारो फूल बरसाओ” गुनगुनाते हुए दहलीज पर कदम रखता.. मनी ऑडर सी मुस्कान भरे रहता.. और कार्ड देकर मिठाई खा कर ही विदा लेता..
खुदा-ना-खास्ता अगर एक कोने से फटा तार उसके झोले में होता..तो उसका दिल चलने से पहले ही बोझल हो जाता.. राह भर वो कुछ सोच में रहता.. देहरी चढ़कर सत्संग की बाते शुरू कर देता.. जवान को ढांढस बंधाता फिर तार पकड़ा आँसू दबाए चला आता था.. एक बुढ़ी अम्मा…जिसका बेटा फौज में था,वो उसका बेटा बन सब काम निपटाया करता.. और जब कभी बेटे का खत ना आता तो उस माँ का मन बहलाने को,वो खुद खत लिखकर ले आता ..!
पर वो बूढ़ा डाकिया..अब नहीं आता.. अब बस पिंग की आवाज के साथ मैसेज आ जाता हैं.. मोबाईल को ही सब डाकिया कह देते है..
लेकिन इस मोबाइल को कैसे कहो डाकिया कह दूँ…ये बस खत लाता हैं..
वो बूढ़ा डाकिया खुद खत बन कर ही चला आता था..!
Nitish Kaushik
Blog : https://nitishsharma12.wordpress.com
Twitter : @2012nitish
Instagram : nitishakanikki
अनुभूति पूर्ण लेखन
बहुत शुक्रिया अर्चना जी..:)
आपने पसंद किया..खुशी हुई..:))
दिल को छू गयी आपकी रचना 👍💐
शुक्रिया अजय जी :))
लिखने का उद्देश्य यही था :))
लिखते रहिये जी 🤗🙏🤗
मैं भावुक हो गया आपकी रचना पढ़ के …क्या ख़ूब लिखते हैं आप सर …
बहुत शुक्रिया मनीष जी..:))
भाव आप तक पहुँचे..लिखना सफल रहा..:))
भविष्य में भी आपका समर्थन वांछनीय है :)))
Beautiful
शुक्रिया नागेंद्र जी..:))
भावनाओं से पूर्ण संवेदनाओं से भरी बेहद सरल और प्यारी कहानी। बधाई हो नितिन।
शुक्रिया कौसेन जी..:)
आपकी सराहना सुखदायी है :)))
nitish*
सुन्दर लेखन.. बधाई rising star of the month बनने की 👏👏
:))))
शिखा जी..:)
बहुत शुक्रिया..☺️🙏🏻
आशीष देते रहिये..:)))
Hail #आजसिरहाने ☺️🙏🏻
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आपकी रचना ने मन छु लिया है।वो दिन याद आ गए जब हम डाकिया का इंतजार करते थे।