स्वलेख : मार्च 19, 2017
मार्गदर्शक : अर्चना अग्रवाल
विषय : आशा
चयनित कविताएँ

मत देखो-
मेरी शिथिल मंद गति,
खारा पानी आँखों का मेरे,
देखो-
अन्तर प्रवहित
उद्दाम सिन्धु की धार
और हिय-गह्वर का
मधु प्यार। ।।१।।
मीत!
मत उलझो-
यह जो उर का पत्र पीत
इसमें ही विलसित
नव वसंत अभिलषित
और
मत सहमो-
देख हठी जड़ प्रस्तर
इससे ही
उज्ज्वल जीवन जल निःसृत। ।।२।।
अनुरागी!
मत ठिठको-
देख निःस्व नीरद माला
रस रिक्त
इसी का नीर सोखकर तृप्त
धरा गाये
रुचि रंग सुरभि के गीत। ।।३।।
सहपाठी!
आओ पढ़ो-
प्रेम उन्मद, विश्वास प्रखर, आशा असीम
के अक्षर ज्योतित
औ’ रटो सूत्र-
हो पुलिन बद्ध
फिर भी स्वतंत्र है
शाश्वत जीवन धार उल्लसित। ।।४।।
हिमांशु @Himaanshu
तिमिर सागर वृहद सही
आस का जुगनूं जीवित रखना
कजियारी कोठरी में बैठ
लौ जला उजियारा करना
जीवन दीर्घ नहीं, ना सही
क्षणिक को अक्षुण्ण करते रहना
लोगों की सोच से अविचलित रह
अपनी सोच पे दृढ़ तुम रहना
हो ऋतुओं में पतझर का प्रहार
तुम हृदय में बसंत सींचते रहना
मायावी संबधो से पृथक
तुम स्वयं से स्वयं का संवाद रखना
जीवन मरण के व्यूह न पड़
आयु को हर क्षण सार्थक करना
पर पौरूष की तज अभिलाषा
तुम स्वालंबन की आशा संग चलना
जोगी परिन्दा @JogiParinda