Zikr Aur Fikr
नशा तेरी यादों से आता है या तेरे ज़िक्र से..
फासले है फिर भी दिल बैचेन है तेरी फ़िक्र से..
जुबां का ज़ायका बदल जाता है तेरे ज़िक्र से..
अजब सी कशिश महसूस होती है तेरी फ़िक्र से..
अरमान दिल के मचलने से लगते है तेरे ज़िक्र से.
ज़ेहन ख़ौफ़ज़दा सा हो जाता है तेरी फ़िक्र से..
आँखों में सतरंगी ख़्वाब उतर आते है तेरे ज़िक्र से..
ख़्वाबों में भी दिल सहम सा जाता है तेरी फ़िक्र से..
तेरी आहट का अहसास सा होता है तेरे ज़िक्र से..
बस अब तो मेरा चमन महकें सिर्फ तेरी फ़िक्र से..
By Fatima Kolyari
Blog : http://www.Ibadat-e-lafz.com
(Segment Manager : Ritu Dixit)
Nice lines 😊😊