स्वलेख : मई २१, 2017
मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल
विषय : दिल
चयनित रचनाएं
1
दिल का चोखा सौदा ले कर बाज़ारों में जाए कौन
सिक्कों के सौदागर हैं सब, दिल का मोल लगाए कौन
मेरी बात नहीं सुनता है, दुनिया से उलझा करता है
अब खुद से ही रूठ गया है, इस दिल को बहलाये कौन
जाने कितनी सदियाँ बीतीं, दिल से दिल की राहें खोयीं
उन राहों को अब भी ढूँढे, इस दिल को समझाये कौन
अजब शोर है हर महफिल में, कोई गीत नहीं गूँजे है
दिल को थोड़ी राहत दें जो, उन नग्मों को गाये कौन
दिल के मीत नहीं मिलते अब, मतलब की दुनिया है सारी
यही हक़ीक़त है लेकिन ये, ‘पंकज’ को बतलाए कौन
Pankaj Saxena @betweenyouandmeon
2
शायद तुमने छुआ है दिल को …..
नही तो बेवजह ही नम नही होता दिल मे छुपा वो कोना
और न ही खिलते कुछ खुबसूरत से जंगली फूल …
फैलते जाते हैं जो बेतरतीबी से,
जिन्हे ज्यादा प्यार-दुलार की जरूरत नही ….
बस काफी है जमीं का भीग जाना ही ..
खंडहर सा वीरान पड़ा रहता है बरसों तक कोई दिल
जिसकी तरफ नज़र पड़ती ही नही किसी की
फिर अचानक ही खिल जाते हैं कुछ फूल
और लगने लगता है कि,
शायद कुछ बचा है अभी..
शायद कुछ मौसम बचे हैं अभी …
Shikha Saxena @shikhasaxena191