#Kahani250 | विषय : मिठाई प्रथम स्थान Anjana Tandon | T: @anjafi नयी माँ बनी वो सूखी सी मिठाई खाती झरझर तृप्त हो देखती झूले में पहली संतान की नन्ही पायल नरम पाँव की सतरंगी दुनिया अगली बार नवजात बेटे को ले घर में घुसते सिसक झाँक लेती है घने बबूल को जिसकी जड़ में…
Category: Roshni
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Rukaa Hua Saawan : Shraddha Upadhyay
रुका हुआ सावन लेखिका : श्रद्धा उपाध्याय जब सुनिधि सीएसटी स्टेशन पहुँची तो ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर लग चुकी थी। उसने ट्रेन का नंबर 11057 सुनिश्चित किया और फिर अपना सामान लेकर वह बी 2 में चढ़ गई। बाहर हल्की बारिश हो रही थी। सुनिधि गेट पर खड़ी हो गई और उस शहर को देखने लगी।…
Raam Pyaari : Anuradha Sharma
अपने सौतेले भाई अरतु की चिकनी चुपड़ी बातें राम प्यारी को आज भी याद हैं | “अरे शहर इत्ता बड़ा होता है और लोग कांच की मूर्तियों जैसे साफ़ सुन्दर और चीनी से भी मीठे .. तू चल के देख तो सही, न ठीक लगे तो वापिस आ जइयो.. तेरा भाई हूँ .. तेरा बुरा […]
Maryam : Mohammed Kausen
“अरे….आओ आओ रामदुलारी बहन आज हमारे घर का रास्ता कैसे याद आ गया। जब से मौहल्ला छोड़ा है तुम तो जैसे हमे भूल ही गई।” “नही बिलक़ीस आपा कैसी बाते करती हो। अपनों को भी भला कोई भूलता है। वो तो बस काम में वक़्त ही नही मिल पता। खैर छोडो ये लो मिठाई खाओ…
Lakshaaki : Supriya
24-oct-2016, 9:30 p.m मेरा नाम लक्षाकी है.. मैं 14 साल की हूँ और नवमी कक्षा में पढ़ती हूँ । मेरे पापा लक्ष्य और माँ कीर्ति.. कभी उन्होंने ने बड़े प्यार से अपने नामो के सम्मिश्रण से मेरा नाम रखा था अब जो की उन्होंने अलग होने का फैसला लिया है तो क्या मेरे नाम…
Maithili : Ritu Dixit
“क्या सोच कर रखा था, मम्मी-पापा ने यह नाम? कोई राजभोग तो मिला नहीं, न ही मैथिली जैसी लकी निकली की वनवास ही मिल जाए, कम से कम वहाँ तो चैन मिलेगा। जंगल में मंगल, वाह! अरे, पर मच्छर भी तो कितने होंगे वहाँ, यहाँ जैसे स्प्रे तो नहीं करा सकते हैं। ओह्हो, यह क्या…
Jaanki : Shikha Saxena
ट्रिंग ट्रिंग… फोन की घंटी लगातार बजती जा रही थी .. सुबह के इस व्यस्त समय में फोन का आना अखर जाता था मुझे – हैलो… – अरे सीमा कहाँ हो भई…कितनी देर लगा दी दूसरी तरफ जिठानी थी मेरी… – क्या बताऊँ दीदी.. लगभग रूआँसी हो आई मैं.. – बस हर समय भागादौड़ी ही…
Vaidehi : Archana Aggarwal
मोटा चश्मा उतार कर रख दिया वैदेही ने घर में आकर , अभी पर्स रखा ही था कि माँ की आवाज़ आई , “जल्दी कर वैदेही , मुँह हाथ धो ले , लड़के वाले आते ही होंगे । “ क्या माँ , फिर से , वैदेही परेशान हो उठी , ये रोज-रोज का तमाशा क्या…
Siya : Jagrati Mishra
चश्मे को कपोलों पर लुढ़काए, जेटली जी मुंशी नज़रों से सिया को देख रहे थे । सिया आज भी छोटी स्कर्ट में थी और पैर पर बना टैटू साफ नजर आ रहा था…. सिया का ये रंग-ढंग जेटली जी को बिलकुल पसंद नहीं आता था..! “गुड माॅर्निंग “ सिया के अभिवादन का जवाब जेटली जी…
Kahaani : Seeta : Anshu Bhatia
“बिटिया सोने से पहले फूल बिस्तर पर से नीचे गिरा देना, वर्ना तुम्हारे प्यार की पूरी कहानी सुबह चादर पर उकेरी नज़र आएगी!!” दुल्हन को कमरे में भेजती हुई चाची बोली। सीता खंभे के पीछे खड़ी कनखियों से पुष्पा को मोहन के कमरे में जाते हुए देख रही थी। पुष्पा के चेहरे पर उभरती हुई…
Kahaani : Paarthvi : Preet Kamal
“अरे रोहन! ठीक से लगा ये तोरण, बिल्कुल पीले फूलों के साथ, दरवाज़े के ऊपर.. पार्था माँ को ऐसे ही पसंद है। और मीता! कितनी देर लगाएगी रंगोली बनाने में, पार्था माँ आती ही होंगीं।” सुमित सभी को निर्देश दे रहा था। देता भी क्यों ना… उनकी ‘पार्था माँ’ का जन्मदिन था आज!…
Agni Pariksha : Story Collection
नारी दिवस के उपलक्ष्य आपके सामने प्रस्तुत हैं कहानियों का अनूठा संकलन, नारी मन के वो गहरे रंग दर्शाते हुए जिन में विद्यमान है प्रेम, ममता, द्वेष, रोष, एकाकीपन, पराक्रम और दीनता की गाथा । ये पात्र आपके इर्द-गिर्द ही हैं बस आवश्यकता है इन्हें देखने और समझने की । नारी के बहुमुखी व्यक्तित्व से…
Buudhaa Daakiya : Nitish
Story : Buudhaa Daakiya Writer : Nitish Rising Star Of the Month वो एक बूढ़ा डाकिया… गाँव में जब भी आता,अपने साथ सिर्फ खत नहीं लाता था.. निदा साहब का ये जादूगर अपने झोले में हँसी,आँसू,सुख-दुख सब रखता था.. खाकी वर्दी पहने ,काँधे पर झोला लटकाए साथ में अपनी अर्धांगिनी साइकिल को लिए गाँव…
Zindagi Shatranj : Supriya Negi
कविता : ज़िन्दगी शतरंज हुयी अति है ..