Tag: Ruchi Rana
Week 14: Ummeed Ki Udaan
गुल्लक By Jagrati Mishra ♠♣♥♦ @Jagrati_mishra {Stories Of The Week – First} “क्या डाल रहा है ठाकुर जी की गुल्लक में ? “ “कुछ नहीं…” “देखूँ ! क्या है ….” इतना कहकर मौली ने कीकू के हाथ से काग़ज़ का टुकड़ा छीन लिया जिसपर कुछ आड़ी तिरछी रेखायें थीं.. “क्या लिखा है इसमें ?” “माँ….”…
राधा और रघु की होली By Ruchi & Shikha
By Ruchi Rana & Shikha Saxena (Rangeeli Toli No. 2) “बहुत मजा आया ना तुमका??” रघु जानता था कि बम फूटने वाला है तभी वो मुँह फेर कर बैठा था “क्यों.. क्या हुआ?” एक बच्चे को भी मात दे रही थी उसकी मासूमियत.. शादी के बाद राधा की पहली होली थी मायके में ..बहुत…
Week 6 : बड़ा दिन, छोटा सांता
A Special Message From Gayatri, Our Guest Editor of the Week (@gayatriim) विवेक की संजीता तस्वीर खुद में एक कहानी कहती है – एक रेल का डब्बा या यूं कहिए भारतीय समाज के मध्यवर्गीय नागरिकों की लाइफलाईन स्लीपर क्लास का डब्बा और लोहे की सलाखों वाली खिड़की से बाहर झांकती नन्हे सांता की मासूम आंखें,…
ताज़ी ताज़ी सब्ज़ियाँ .. By Ruchi Rana
I only wanted to post poems but I never knew that someone can write about vegetables in such a poetic way. I am suddenly hungry and also a little jealous of those who live in the valleys on India and have access to such nature gifts. Here is Ruchi Rana’s fresh piece on the absolute…
Week 4: Kaagaz
कागज़ का रिश्ता By Ajay Purohit @Ajaythetwit “माँ, नाव कहाँ चली जाती है” “बिट्टो रानी, कागज़ की है, डूब जाती होगी” “रानी साहिबा, कोई पगला है, कई सालों से इन कागज़ी नावों को पकड़, जमा करता था । कहता था, बिटिया की हैं । बेचारे की बेटी बाढ़ में बह गयी थी” “पिछले महीने…
Week I : संयोग
Ruchi Rana @rushuvi डूबता हुआ सूरज, गंगा का तट, दुप्पट्टे का एक भीगा कोना, बरगद की वो झुकी डाल… ख्वाहिशों का एक धागा बाँधा था आस की लौ जला के। एक ख़ामोश ख़याल ..सफ़ों के बीच नज़रबंद सदियों से … बेहद शोर था , भीड़ भी अथाह…ऊपर से रैली के नारों की भयावह गूँज। वो…