स्वलेख : मई २१, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : दिल चयनित रचनाएं 1 दिल का चोखा सौदा ले कर बाज़ारों में जाए कौन सिक्कों के सौदागर हैं सब, दिल का मोल लगाए कौन मेरी बात नहीं सुनता है, दुनिया से उलझा करता है अब खुद से ही रूठ गया है, इस दिल को बहलाये…
Tag: Shikha Saxena
Best Of Swalekh : April 28
स्वलेख : April 16, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : मोड़ चयनित रचनाएं @shikhasaxena191 हर सुबह वहीं से नही आती जिस मोड़ से कल गई थी रात को काफी वक्त मिलता है, रास्ते बदलने के लिए @JoyBanny19 कहाँ दफ़नाता तिरी ग़लतियों को मेरे मसीहा, हर मोड़ पे पत्थर लिए ख़ुदा मिला। @RawatWrites न जाने […]
Best Of Swalekh : April 21
स्वलेख : April 16, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : मोड़ चयनित रचनाएं @shikhasaxena191 हर सुबह वहीं से नही आती जिस मोड़ से कल गई थी रात को काफी वक्त मिलता है, रास्ते बदलने के लिए @JoyBanny19 कहाँ दफ़नाता तिरी ग़लतियों को मेरे मसीहा, हर मोड़ पे पत्थर लिए ख़ुदा मिला। @RawatWrites न जाने […]
Best Of Swalekh : April 16 (II)
स्वलेख : मार्च 19, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : मोड़ चयनित रचनाएं @shikhasaxena191 हर सुबह वहीं से नही आती जिस मोड़ से कल गई थी रात को काफी वक्त मिलता है, रास्ते बदलने के लिए @JoyBanny19 कहाँ दफ़नाता तिरी ग़लतियों को मेरे मसीहा, हर मोड़ पे पत्थर लिए ख़ुदा मिला। @RawatWrites न जाने […]
Best Of Swalekh : April 16 (I)
स्वलेख : April 16, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : मोड़ चयनित रचनाएं @shikhasaxena191 हर सुबह वहीं से नही आती जिस मोड़ से कल गई थी रात को काफी वक्त मिलता है, रास्ते बदलने के लिए @JoyBanny19 कहाँ दफ़नाता तिरी ग़लतियों को मेरे मसीहा, हर मोड़ पे पत्थर लिए ख़ुदा मिला। @RawatWrites न जाने…
दीर्घ कथा संकलन : Feb 2017
परिणाम कहानियाँ लेखक की रचनात्मकता एवं कल्पनाशीलता को प्रतिबिम्बित करती हैं। कहानी मे कथानक की नवीनता अनिवार्य अंग है जिसे शब्द, संवाद एवं लेखन शैली के सुंदर तानेबाने में सँजो कर इस रूप में पाठक के समक्ष प्रस्तुत करना होता है कि उसका पढ़ने का कौतूहल हर वाक्य के साथ बढ़ता चला जाए। यही एक कथा की…
Bikharte Hue Rang : Shikha Saxena
Kahani Suhani : Selected Stories : First Winner बिखरते हुए रंग लेखिका : शिखा सक्सेना “चंदर फूलों का बेहद शौकीन था । सुबह घूमने के लिए उसने दरिया किनारे के बजाय अल्फ्रेड पार्क चुना था क्योंकि पानी की लहरों के बजाय उसे फूलों के बाग के रंग और सौरभ की लहरों से बेहद प्यार था…
Dhoop Ka Tukda : Shikha Saxena
WRITER OF THE MONTH SHIKHA SAXENA धूप का टुकड़ा जब छाने लगते हैं निराशा के बादल … और होने लगती हैं बेमौसम अनचाही बारिशें … तभी आ जाता है उड़ता हुआ … पता नही कहाँ से एक धूप का टुकड़ा … उम्मीद से भरा हुआ … और जागने लगती हैं फिर से .. जीने की…