आज सिरहाने पर आयी हुई कहानियों का एक अलग ही आकर्षण है! एक अन्तःस्फूर्त प्रेरणा है और एक विशिष्ट आकर्षण जो कहानियाँ रचने की ओर प्रवृत्त करता है, यह पहली बार यहाँ चित्र पर कहानी लिखते हुए महसूस किया मैंने।
इस बार कहानियाँ बढ़ीं, नये लोग आये! मासूम-सा चित्र..पर कहानियाँ परिपक्व!
जो पहला है वह पहले स्थान का हक़दार है ही। जागृति हर बार चकित करती हैं, हर तरह की कहानी मौज़ूद है उनके यहाँ। कलमुँही, गरीब कौन और खिलौना खूब पसंद आयीं मुझे!
सभी कहानीकारों और विजेताओं को खूब बधाई!
और हाँ, अजय पुरोहित जी की कहानी ’विदाई’ दो बार लग गई है, एक चित्र हटा दें तो बेहतर!
सभी कहानियाँ बेहतरीन हैं लेकिन, नैना देख के, समझ, और इंसाफ मिल गया.. बहुत अच्छी लगीं ।
“पुराना पैकेट” में माता पिता के तलाक के कारण बच्चों का बचपना छिनने पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाने की कोशिश की है.. 🙂
सभी कहाँनियों में एक ही भाव दिखाई दिया । सभी विजेताओं को शुभकामनाएँ ! मुझे इन में विशाल की ‘नैना..’, वरुण की ‘दोस्त’ व शिखा जी की ‘सो गया…’ बेहतरीन कृतियाँ लगीं ।
शायद सभी लेखकों को चित्र में कुछ नये आयाम देखने की आवश्यकता है ! ‘गेस्ट ऐडीटर्स’ को विशेष धन्यवाद ।
#गूंगा गज्जु
कहानी की समझ परिवार से ही मिली।
मेरी बहन को गुड्डे गुड़ियो का बहुत शौक हैं…हाल ही में उसकी शादी हुई…उसके सारे गुड्डे मेरे पास हैं…बचपन में कभी नहीं खेला उनसे…अब संभाल कर रखता हूँ…बहन जब घर आती हैं…उन्हे देख हँस पड़ती हैं..!
जब तस्वीर देखी और सोचा तो कुछ “कलमुँही” जैसी कहानी ही समझ आयी। लेकिन फिर लगा के कुछ अलग से लिखते है। वैसे बीवी भी बीवी ने बोला था के मेरी कोशिश में नराकात्मा होती है. अंत उदास होता है। इसलिए इस बार अंत थोड़ा भयावह करने की कोशिश की। और अनुराधा का डरना बताता है कि मेरी कोशिश कुछ हद तक कामयाब रही।
अंत में एक पैनल के गणमान्य सदस्यों से पार्थना : हो सके तो कहानियो पर टिप्पणी कर दीजिये, खासकर कमियों पर (पता तो चले नंबर कहाँ कटे ? और क्यों कटे ? और सबसे जरूरी किसने काटे ?)
प्रथम प्रयास पर इतने अच्छे प्रतिसाद के लिये सभी का शुक्रिया ।मुझे इस कहानी की प्रेरणा कामकाजी दम्पत्तियों की उन सत्य घटनाओं से मिली जिनमें वो किसी दाई के भरोसे वो अपने नौनिहालों को छोड़ जाते है और वो दुर्रव्यवहार का शिकार होते है कभी मारपीट, कभी ताने और कभी उनको सुलाने के लिये नशा।ऐसे बच्चे अवसाद का शिकार हो जाते है।पाठक के तौर पर सभी कहानियाँ अच्छी लगी। शुक्रिया आजसिरहाने टीम आप लोग इस मंच के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं।
Congratulations all.. you guys just rocks.. keep writing
आज सिरहाने पर आयी हुई कहानियों का एक अलग ही आकर्षण है! एक अन्तःस्फूर्त प्रेरणा है और एक विशिष्ट आकर्षण जो कहानियाँ रचने की ओर प्रवृत्त करता है, यह पहली बार यहाँ चित्र पर कहानी लिखते हुए महसूस किया मैंने।
इस बार कहानियाँ बढ़ीं, नये लोग आये! मासूम-सा चित्र..पर कहानियाँ परिपक्व!
जो पहला है वह पहले स्थान का हक़दार है ही। जागृति हर बार चकित करती हैं, हर तरह की कहानी मौज़ूद है उनके यहाँ। कलमुँही, गरीब कौन और खिलौना खूब पसंद आयीं मुझे!
सभी कहानीकारों और विजेताओं को खूब बधाई!
और हाँ, अजय पुरोहित जी की कहानी ’विदाई’ दो बार लग गई है, एक चित्र हटा दें तो बेहतर!
सभी कहानियाँ बेहतरीन हैं लेकिन, नैना देख के, समझ, और इंसाफ मिल गया.. बहुत अच्छी लगीं ।
“पुराना पैकेट” में माता पिता के तलाक के कारण बच्चों का बचपना छिनने पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाने की कोशिश की है.. 🙂
सभी कहाँनियों में एक ही भाव दिखाई दिया । सभी विजेताओं को शुभकामनाएँ ! मुझे इन में विशाल की ‘नैना..’, वरुण की ‘दोस्त’ व शिखा जी की ‘सो गया…’ बेहतरीन कृतियाँ लगीं ।
शायद सभी लेखकों को चित्र में कुछ नये आयाम देखने की आवश्यकता है ! ‘गेस्ट ऐडीटर्स’ को विशेष धन्यवाद ।
शुक्रिया, वैसे आप की कहानी दीमक बाबू गज़ब है, एकदम हीरो बना दिए दीमक बाबु को
#गूंगा गज्जु
कहानी की समझ परिवार से ही मिली।
मेरी बहन को गुड्डे गुड़ियो का बहुत शौक हैं…हाल ही में उसकी शादी हुई…उसके सारे गुड्डे मेरे पास हैं…बचपन में कभी नहीं खेला उनसे…अब संभाल कर रखता हूँ…बहन जब घर आती हैं…उन्हे देख हँस पड़ती हैं..!
जब तस्वीर देखी और सोचा तो कुछ “कलमुँही” जैसी कहानी ही समझ आयी। लेकिन फिर लगा के कुछ अलग से लिखते है। वैसे बीवी भी बीवी ने बोला था के मेरी कोशिश में नराकात्मा होती है. अंत उदास होता है। इसलिए इस बार अंत थोड़ा भयावह करने की कोशिश की। और अनुराधा का डरना बताता है कि मेरी कोशिश कुछ हद तक कामयाब रही।
अंत में एक पैनल के गणमान्य सदस्यों से पार्थना : हो सके तो कहानियो पर टिप्पणी कर दीजिये, खासकर कमियों पर (पता तो चले नंबर कहाँ कटे ? और क्यों कटे ? और सबसे जरूरी किसने काटे ?)
प्रथम प्रयास पर इतने अच्छे प्रतिसाद के लिये सभी का शुक्रिया ।मुझे इस कहानी की प्रेरणा कामकाजी दम्पत्तियों की उन सत्य घटनाओं से मिली जिनमें वो किसी दाई के भरोसे वो अपने नौनिहालों को छोड़ जाते है और वो दुर्रव्यवहार का शिकार होते है कभी मारपीट, कभी ताने और कभी उनको सुलाने के लिये नशा।ऐसे बच्चे अवसाद का शिकार हो जाते है।पाठक के तौर पर सभी कहानियाँ अच्छी लगी। शुक्रिया आजसिरहाने टीम आप लोग इस मंच के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं।
Garib Kone….. Sundar Soch aur satya ….