Best Of Swalekh : May 14

स्वलेख : मई 14, 2017 मार्गदर्शक : कोशिश ग़ज़ल विषय : माँ  चयनित रचनाएं 1 बेवज़ह हँसना और खिलखिलाना चाहती हूँ ए माँ, मैं फिर बच्चा बन जाना चाहती हूँ अपनी फ्रॉक को पकड़ गोल – गोल घूमना चाहती हूँ ए माँ मैं फिर बच्चा बन जाना चाहती हूँ जीवन के सूनेपन को भूल ज़ोर से…

Kahani Sankalan : Paurush

भूमिका : नारी सदा से ही साहित्य सृजन की केन्द्र बिन्दु रही है , इसकी चाल – ढाल , हाव – भाव यहाँ तक कि नख-शिख वर्णन में भी साहित्यकारों की विशेष रुचि रही है । सौंदर्य मर्मज्ञ ये रचनाकार नारी को ही इतिवृत्त मान कर पुरुष को नितांत उपेक्षित करते रहे हैं या यूँ…

Do Ajnabi : Archana Aggrawal

दो अजनबी  लेखिका : अर्चना अग्रवाल बार में घुसते ही उस गौरांग सुदर्शन युवक ने चारों ओर दृष्टि दौड़ाई तो सारी मेजें भरी हुई थीं । मन में आया इस छोटे से शहर में इतने पीने वालें कहाँ से जुट गए तभी काँच की खिड़की के समीप वाली मेज जिस पर दो व्यक्ति ही बैठ…

Best Of Swalekh : Mar 19, 2017

स्वलेख : मार्च 19, 2017 मार्गदर्शक : अर्चना अग्रवाल विषय : आशा चयनित कविताएँ सुहृद! मत देखो- मेरी शिथिल मंद गति, खारा पानी आँखों का मेरे, देखो- अन्तर प्रवहित उद्दाम सिन्धु की धार और हिय-गह्वर का मधु प्यार। ।।१।। मीत! मत उलझो- यह जो उर का पत्र पीत इसमें ही विलसित नव वसंत अभिलषित और…

Suryakant Tripathi Nirala : Archana Aggarwal

पोएट्री इन ट्रांसलेशन  सेगमेंट में आपका फिर से स्वागत है। आइये, हम अर्चना अग्रवाल के साथ साहित्य और कविताओं के गूढ़ अर्थ समझें .. आज सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता :  भिक्षुक  : पर एक प्रकाश  भिक्षुक  MEET THE MENTOR