Week 22 : बंधन

भैया और बहना का प्यार देखो..
कहानियों में राखी का त्यौहार देखो..

Aa Jao, Ya Bula Lo .. Read by Ashish Mishra

Ashish’s promising voice not only well compliments a superb treat of words from Gulzar in remembrance of Pancham.. its captivating tone delivers the play of a melancholy yearning for the bond that stood larger than a lifetime.  Incidentally, this audio excerpt in his own voice was my introduction to Gulzar sahab back in 1997. It still gives me goosebumps after…

Week 13 : The Wisdom Of Our Follies

सेल्समेन By Mohammad Rizwan @Rizwan1149 शोरूम में हमारे प्रवेश करते ही एक १५-१६ साल का लड़का आगे आया। “आईये दीदी किया देखेंगी सूट या साड़ी?” “साड़ी दिखाओ… पार्टी वियर…” थोड़ी ही देर में एक के बाद एक कई साड़ियों का उसने चठ्ठा लगा दिया। “इनमे से आपको कोई पसंद नहीं”? उसने पूंछा काउंटर पैर बैठे…

Kavi Kaun Hai : Ashish Mishra

ये वो कविता है जिसे कवि सम्मलेन में बार बार ‘एक बार और’ सुनाने के लिए कहा जाता है .. ये वो कविता है जिसे शायरों से दूर भागने वाले भी एक टक हो कर सुनते हैं  .. ये वो कविता है जिस से आज सिरहाने का सर ऊंचा होता है .. बहुत ही सटीक,…

Ashish Mishra .. reads “Jinn Hai Ek”

Note From Anuradha (SKB) : You are going to love this gold. What a stand out piece of poetry. The way Ashish tries to read the poem is also very familiar. No? Ha ha.. Hear it .. Name: Ashish Mishra Twitter Handle: @justalovelythou Poem Title:  Jinn hai ek Writer’s Name: Yours Truly Details about the poem: The…

तीन तिगाड़ा By Ashish & Nisarg

लेखक जोड़ी नंबर 3 : Ashish Mishra & Nisarg Mehta कहानी : तीन तिगाड़ा अमिताभ : जयाजी, आपने हमारी साइकिल ठीक करवा दी? वीर ज़ारा में वो ज़िंटा को बिठाया था बस…. फुस्स | जया : क्यों पिकु की सीक्वल बन रही है क्या ? और हाँ तुम्हारा वो तीन वाला स्कूटर किधर गया जिसपर…

Week 5: The Girl & The Meter of Life

लुक्का छुप्पी By Harleen Vij @VeiledDesires_  कई दिनों से वह ये खेल खेल रही थी। हर दोपहर, चुप के से, किसी किनारे जाकर बैठ जाती। आगे पीछे देखती, कई बार देखती, फिर धीमे से अपना दायाँ हाथ आगे करती और रोटी की एक बुरकी फटाफट मुँह में डाल लेती। आज भी उसे यह खेल खेलना…

Week 4: Kaagaz

    कागज़ का रिश्ता By Ajay Purohit  @Ajaythetwit “माँ, नाव कहाँ चली जाती है” “बिट्टो रानी, कागज़ की है, डूब जाती होगी” “रानी साहिबा, कोई पगला है, कई सालों से इन कागज़ी नावों को पकड़, जमा करता था । कहता था, बिटिया की हैं । बेचारे की बेटी बाढ़ में बह गयी थी” “पिछले महीने…

छबीस ग्यारह

  Theme: आतंकवाद के खिलाफ एकीकृत Plot: चार अजनबी 26 /11/08 का दिन याद करते हुए अपने थोड़े कड़वे थोड़े मीठे व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हैं.. Prop Words: गुलाब के फूल, टैक्सी ड्राइवर, तुलसी का पौधा, पाजेब, गर्दन पर निशान, पुरानी दोस्ती, शान्ति, देशद्रोही Our Writers: वोह १५ मिनट – लेखक: सुहेल जैदी तुलसी का विवाह…

Week 2: Children’s Day

बनेगा ना?  by Jaikishan Tulswani  @_iamjk {Aaj Sirhaane Signature Stamp For A Story Filled With Positiveness} कुछ रिश्तों में हिम्मत…साहस…सहनशीलता  हालात पैदा कर देते हैं… मेरा और उसका रिश्ता भी कुछ ऐसे ही बना था.. हम अपनी ज़िन्दगी में एक जैसे हालातों से टकराते होते हुए एक मोड़ पर आकर मिले गए थे… उसमें मुझे…

Week I : संयोग

Ruchi Rana @rushuvi डूबता हुआ सूरज, गंगा का तट, दुप्पट्टे का एक भीगा कोना, बरगद की वो झुकी डाल… ख्वाहिशों का एक धागा बाँधा था आस की लौ जला के। एक ख़ामोश ख़याल ..सफ़ों के बीच नज़रबंद सदियों से … बेहद शोर था , भीड़ भी अथाह…ऊपर से रैली के नारों की भयावह गूँज।  वो…